मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

कथा में मां को बचाने का संकल्प

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने किया खान नदी को प्रदूषण मुक्त करने का आह्वान

खान नदी का दर्द सोमवार को गणेशपुरी कॉलोनी के भगवद् भक्तों की आंखों में झलका, जब यहां आयोजित रामकथा में नदियों की महत्ता पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्यजी ने प्रकाश डाला। जब उन्हें शहर में कभी कल-कल बहने वाली खान नदी की दुर्दशा बताई गई, तो उन्होंने सैकड़ों भक्तों से नदी को प्रदूषण मुक्त कर पुनर्जीवित करने का संकल्प दिलाया।

उन्होंने कहा, नदियां मां के बराबर होती है। यह दु:ख की बात है कि आज देशभर की कई नदियां प्रदूषित हो चुकी हैं। छोटी नदियों की स्थिति ज्यादा बुरी है। नदियां प्राकृतिक धरोहर हैं। नदियों की महिमा का उल्लेख हमारे गं्रथों में हैं। हम ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। कथा में राम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान स्वामीजी ने स्वरचित भजनों की प्रस्तुति भी दी।

14 भाषाओं के जानकार हैं स्वामीजी
स्वामी रामभद्राचार्य 14 भाषाओं के जानकार हैं। उन्हें वेद, पुराण, उपनिषद, भागवत, मानस आदि कंठस्थ हैं। दो माह की उम्र में नेत्र ज्योति खोने के बाद संपूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी से पोस्टग्रेजुएट, पीएचडी एवं डी.लिट. उपाधियां प्राप्त की। उन्होंने 85 ग्रंथों की रचना की है। उनके द्वारा स्थापित विकलांग विश्वविद्यालय में विकलांगों को आवास, भोजन, शिक्षण के साथ रोजगारमूलक प्रशिक्षण दिया जाता है।

यह सभी की जिम्मेदारी
कथा में शामिल आशीष ने कहा कि यह व्यक्तिगत मसला नहीं है। इसके लिए सभी को मिलकर बड़े पैमाने पर काम करने की जरूरत है। मैं भी इसके लिए सक्रिय प्रयास करूंगा।

सदस्यता अभियान
खजराना निवासी रुक्मणि यादव ने कहा कि खान के संरक्षण के लिए सदस्यता अभियान चलाना चाहिए। इच्छुक लोगों को जोड़कर खान के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए। 
मंगलवार , १४ फरवरी २०१२, इंदौर , पत्रिका

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