नदी मां किनारे पर हो रहा मुंडन संस्कार
अर्पण-तर्पण का विशेष महत्व बरकरार
इंदौर, सिटी रिपोर्टर। शहर की नदी मां, खान नदी का अभी भी इंदौर का पुरातन महत्व है। आस्था आज भी शहरवासियों के दिलो-दिमाग में है। शहरवासियों ने इसे अपने मां का दर्जा दिया था, जहां-जहां से खान नदी गुजरी है वहां मंदिर बनाए और अभी भी उनमें पूजा होती है। अब इस मां को भूल चुके हो लेकिन अर्पण-तर्पण के लिए आज भी खान नदी के किनारे का महत्व बरकरार है। रामबाग व पारसी मोहल्ला में खान नदी के किनारे ही मुंडन, अर्पण-तर्पण कार्य होते हैं।
छावनी इलाके के पारसी मोहल्ले में भी नदी बहती थी। यहां के शिव मंदिर के पास के घाट पर लोग तर्पण, मुंडन करवाते हैं। इस घाट का ऐतिहासिक महत्व है। वर्ष १८४९ में इसे एक समाजसेवी ने परिजन की स्मृति में बनवाया था। घाट पर रविवार को भी एक परिवार मुंडन संस्कार करवा रहा था। कुछ ऐसा ही महत्व रामबाग में भी खान नदी के किनारे का है। यहां महाराष्ट्रीय समाज द्वारा अर्पण-तर्पण के कार्य किए जाते हैं। खासकर यहां दसवां रखने का महत्व है। यह परंपरा सालों से चली जा रही है।
इंदौर, सिटी रिपोर्टर। शहर की नदी मां, खान नदी का अभी भी इंदौर का पुरातन महत्व है। आस्था आज भी शहरवासियों के दिलो-दिमाग में है। शहरवासियों ने इसे अपने मां का दर्जा दिया था, जहां-जहां से खान नदी गुजरी है वहां मंदिर बनाए और अभी भी उनमें पूजा होती है। अब इस मां को भूल चुके हो लेकिन अर्पण-तर्पण के लिए आज भी खान नदी के किनारे का महत्व बरकरार है। रामबाग व पारसी मोहल्ला में खान नदी के किनारे ही मुंडन, अर्पण-तर्पण कार्य होते हैं।
छावनी इलाके के पारसी मोहल्ले में भी नदी बहती थी। यहां के शिव मंदिर के पास के घाट पर लोग तर्पण, मुंडन करवाते हैं। इस घाट का ऐतिहासिक महत्व है। वर्ष १८४९ में इसे एक समाजसेवी ने परिजन की स्मृति में बनवाया था। घाट पर रविवार को भी एक परिवार मुंडन संस्कार करवा रहा था। कुछ ऐसा ही महत्व रामबाग में भी खान नदी के किनारे का है। यहां महाराष्ट्रीय समाज द्वारा अर्पण-तर्पण के कार्य किए जाते हैं। खासकर यहां दसवां रखने का महत्व है। यह परंपरा सालों से चली जा रही है।
प्यास बुझाती थी खान
पारसी मोहल्ले में नदी के किनारे बने शिव मंदिर के सेवादार देवकी नंदन रायकवार बताते हैं, कभी शहर की ह्रïदय रेखा मानी जाने वाली खान नदी में बच्चे तैरते थे। इसके स्वच्छ पानी से शहर की प्यास बुझती थी। हर कार्य में पहले खान नदी का पूजन होता था लेकिन आबादी के बोझ के साथ स्वच्छता और बेहतर सीवरेज प्रबंधन को नजअंदाज कर दिया गया। हालत यह है पारसी मोहल्ले का जो घाट लोगों के स्नान का एकमात्र स्थान था और आज यहीं बेहद गंदगी और बदबू का साम्राज्य है। इस शहर की जनता भले ही इस नदी से सीधे तौर पर जुड़ी न हो लेकिन आज भी इसके प्रति गहरी आस्था मौजूद है। जरूरत केवल इस आस्था को आवाज देने की है ताकि इसकी स्थिति सुधर सकें और विकास के पथ पर बढ़ते इस इंदौर में अपना अस्तित्व खोती खान नदी को बचाने के लिए एक आवाज बुलंद हो सके।
एकजुट कोशिश करे समाज
जैन मुनि भूतबलीसागर ने किया आह्वान
इंदौर. जैन मुनि भूतबलिसागरजी ने समाजजन से शहर की खान नदी के जीर्णोद्धार की अपील की है। उन्होंने कहा कि पंच तत्व में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति का महत्व है। इसमें भी जल सबसे महत्वपूर्ण है। नदियों को प्रदूषण मुक्त कर जल को नहीं सहेजा तो कल से कोई आशा करना व्यर्थ है।
परदेशीपुरा मंदिर के लिए सुगनीदेवी कॉलेज परिसर में हो रहे जिनबिंब पंचकल्याणक महोत्सव पंचकल्याणक में आए मुनि भूतबलिसागरजी ने कहा कि सरकार व जनता को मिलकर इंदौर की खान के लिए संयुक्त प्रयास करना चाहिए। सरकार और शहर के लोग इसे आगे बढ़कर सहेजते है तो यह शहर को सुंदरता और पर्यावरण का संरक्षण करेंगी। आज हमारे सामने कई उदाहरण है जहां प्राकृतिक स्तोत्र का संरक्षण किया गया ïवह गांव-शहर में खुशहाली आई है। इस दिशा में जाग्रत हों, क्योंकि इस सदी में जाग्रत नहीं हुए तो अगली पीढ़ी के सामने विषम परिस्थितियों होगी। उन्होंने सुझाव दिया है कि भारत की सभी नदियों को जोड़कर विद्युत, सिंचाई सहित विभिन्न समस्आओं का समाधान किया जा सकता है।
पार्षद भी बोले, बचाएंगे नदी मां को
कबूतर खाना, नार्थ तोड़ा, साउथ तोड़ा के ड्रेनेज ने खान को नाला बना दिया। बचपन खान के किनारे खेलकर बीता। अब दु:ख होता है। इसके लिए मिलकर कोशिश करेंगे।
अंसाफ अंसारी, पार्षद, वार्ड १२
वार्ड क्षेत्र की बस्तियों का ड्रेनेज नाले के जरिए खान नदी में मिलता है। सीवर लाइन से भी ड्रेनेज की समस्या का समाधान नहीं होगा। मजबूत इच्छाशक्ति के साथ प्रशासन, निगम सहित शहर के प्रत्येक नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
सुनीता शुक्ला, पार्षद, वार्ड १३
मेरे वार्ड क्षेत्र का थोड़ा बहुत डे्रनेज खान में मिलता होगा। पत्रिका की खबर के बाद अब पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। खान को नदी के रूप में फिर से परिवर्तित करना जरूरी है।
अर्चना चितले, पार्षद, वार्ड १४
सिकंदराबाद नाला खान को दूषित करता है। तीन हजार आबादी का ड्रेनेज नदी में पहुंच रहा है। सीवर लाइन से कुछ हद तक समस्या हल हो जाएगी। मैंने तो खान नदी के लिए योजना तक बना ली है।
शेख मोहम्मद असलम, वार्ड १६
मरीमाता वाले नाले में वार्ड का ड्रेनेज मिलता है। सीवर लाइन तो आधे ही वार्ड में है। खान को बचाने सीवर प्रोजेक्ट को गंभीरता से लेना होगा।
राजेंद्र रघुवंशी, पार्षद, वार्ड १७
स्कीम ५१ का पूरा ड्रेनेज नाले के जरिए खान में पहुंच रहा है। इसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। अब सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
अश्विनी शुक्ल, पार्षद, वार्ड १८
१३ फ़रवरी २०१२ , सोमवार, पत्रिका, इंदौर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें