मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

मां के लिए करेंगे पदयात्रा

संकल्प 
श्रीसद्गुरु ग्रामीण विकास एवं अनुसंधान परिषद ने की घोषणा                                                          लोगों को देंगे खान नदी के महत्व की जानकारी
नदी से नाला बन गई खान नदी को जिंदा करने के लिए श्रीसद्गुरु ग्रामीण विकास व अनुसंधान परिषद ने आगे आते हुए घोषणा की कि नदी के किनारे से पदयात्रा की जाएगी ताकि लोगों को इसके महत्व की जानकारी मिल सके। परिषद के सदस्यों ने संकल्प लिया कि खान को स्वच्छ, निर्मल व पवित्र बनाकर ही दम लेंगे। जान देकर भी खान की रक्षा करेंगे।

परिषद के अध्यक्ष विकास चौधरी ने कहा है, नदी मां होती है और इसे बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। अभी परिषद हर वर्ष १३ किमी पदयात्रा करके क्षिप्रा को जिंदा करने के लिए गांवों में जागृति लाते हैं, अब खान नदी के लिए यह काम किया जाएगा।

सिंहस्थ को फलदायी बनाने के लिए भी जरूरी
उन्होंने कहा है कि खान आगे चलकर क्षिप्रा में मिलती है और बेटों की अनदेखी के कारण वहां अपने साथ गंदगी ले जाती है। इससे वहां के लोगों की सेहत खराब होती है।  चूंकि, खान नदी क्षिप्रा में जाकर मिलती है, इसलिए वहां भी गंदगी है। वर्ष २०१६ में सिंहस्थ होने वाला है और उस वक्त तक खान के बहाव हो साफ किया जाना चाहिए ताकि सिंहस्थ का स्नान फलदायी बन सके। परिषद ने मांग की है कि राज्य सरकार अभी क्षिप्रा पुनर्जीवन पर १५.२८ करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस प्रोजेक्ट को विस्तार देकर खान नदी को भी इससे जोडऩा चाहिए। 
ये दस सुझाव दिए
१. खान नदी के किनारे के जल स्त्रोतों को जागृत किया जाए। 
2. नदी के किनारे में कृषि, उद्योग और पशुधन के लिए जलप्रबंधन का सांचा तैयार किया जाए।
३. किनारे पर वृहद पौधारोपण किया जाए, जो पेड़ हैं उन्हें संरक्षित करें।
४. जल मंथन सभाएं आयोजित की जाए ताकि जागरूकता आए।
५. उद्गम स्थल के आसपास एक तीर्थ सरोवर का निर्माण किया जाए।
६. नदी संवाद या नदी उत्सव करें।
७. पुराने स्टॉप डेमों की मरम्मत की जाए ताकि  भराव शुरू हो सके।
८. उद्गम से क्षिप्रा में विलय तक नदी रक्षकों की नियुक्ति की जाए।
९. कॉरपोरेट कंपनियों से इस अभियान को जोड़ा जाए।  कॉरपोरेट घराने इसके लिए राशि उपलब्ध कराएं।
१०. हर वार्ड में हर माह इस मसले पर एक बैठक अवश्य हो।

पार्षदों को होने लगा मां के दर्द का आभास
खान नदी के लिए इंदौर के पार्षद भी अब एक राय हो रहे हैं। उनके दिल में भी अब मां के दर्द की आहट पहुंच गई है। वे साथ आकर नदी को जिंदा करने तत्पर हो रहे हैं। पत्रिका ने उनसे दो सवाल पूछे थे। इनके जवाब में उन्होंने कांधा से कांधा मिलाकर आगे बढऩे की बात कही है।
ये थे दो सवाल 
पहला - आपके इलाके में खान नदी का कौन सा हिस्सा है? 
दूसरा - नदी के लिए आपका क्या सुझाव है?


फातिमा खान (वार्ड 2)
चंदननगर-सिरपुर वाला नाला, जो अंतिम बिंदु पर खान नदी में मिलता है।
जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट में सीवरेज लाइन का कार्य तेजी से हो जाए तो नाले को डे्रनेज से मुक्त किया जा सकता है।

अरूणा शर्मा (वार्ड 3)
कालानी नगर का ड्रेनेज पीलियाखाल नाले के रास्ते खान में पहुंच रहा है।
1 लीटर पेट्रोल पर 1 रूपया निगम वसूले तो बजट समस्या हल होगी। शहरवासी अभियान से सीधे जुड़ेंगे।

गोपाल मालू (वार्ड 4)
चंद्रशेखर व्यास सेतू नाले का ड्रेनेज परेशानी है। सीवर लाइन प्रोजेक्ट से भी आधा ड्रेनेज खान में मिलेगा।
खान को फिर से खूबसूरत बनाने इसे झील में तब्दील किया जाए।

सपना चौहान (वार्ड 5)
मेरे वार्ड से खान नदी या उसके सहायक नाले नहीं हैं।
हम खान नदी में फिर से स्वच्छ और कल-कल जल का बहाव देखने के लिए कोशिश करेंगे।

राधा प्रजापत (वार्ड 6)
वार्ड का ड्रेनेज इसे दूषित करता है।
खान नदी को फिर से 365 दिन बहने वाली बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। खान नदी को देख दु:ख होता है।

सुषमा यादव (वार्ड 7)
शेरपुर से मरीमाता तक का डे्रनेज पीलियाखाल नाले में मिलता है। बड़ी सीवर लाइन का काम होते ही समस्या बहुत कुछ हल होने की उम्मीद है।
चाहती हूं कि नदी को नदी का स्वरूप मिल जाए।

तनुजा खंडेलवाल (वार्ड 8)
सीवर लाइन में जुड़ने के बाद डे्रनेज की समस्या हल हो जाएगी। इसके अलावा छोटी-छोटी ब्रांच लाइन डाली जाएं तो ड्रेनेज नाले में मिलना बंद होगा। कैलाश मार्ग से अंतिम चौराहे तक डे्रनेज लाइन में मिलने से 50 हजार लोगों का ड्रेनेज सीवर लाइन से जुड़ जाएगा।
हम सृजन संस्था से जुड़ी हजारों महिलाओं के माध्यम से भी जनजाग्रति अभियान चलाएंगे।

सोनू राठौर (वार्ड 9)
क्षेत्र का डे्रनेज खान में नहीं मिलता।
सुंदर से नदी को जिंदा करने के लिए प्रशासन, निगम के साथ जनता की भागीदारी जोड़नी होगी।

विनिता धर्म (वार्ड 11)
शेखरनगर से हरसिद्धीकुंज तक का नाला खान को दूçष्ात कर रहा है। सीवर लाइन का कार्य पूर्ण होने के बाद काफी हद तक डे्रनेज मिलना बंद हो जाएगा।
नदी के आसपास वाटर रिचार्ज के उपाए करने होंगे।
१०   फ़रवरी २०१२ , पत्रिका , इंदौर 


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