अनदेखी
खान नदी को संरक्षित करने के लिए यूनेस्को हेरिटेज नेटवर्क राजी हो गया था, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। उधर, भोपाल के नेता-अफसर होशियार निकले, उन्होंने यूनेस्को को अपने शहर को सुधारने के लिए तैयार कर लिया है। बस करार होते ही काम शुरू हो जाएगा। हालांकि, अभी भी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं।
जनवरी १० में धरोहरों की सुरक्षा करते हुए अधोसरंचना विकास के लिए यूनेस्को हेरिटेज नेटवर्क का एक दल प्रदेश के दौरे पर आया था। दल के सदस्यों नेे इंदौर समेत भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, महेश्वर, बुरहानपुर व जबलपुर को काम के लिए चुना था। दल ने इंदौर का दौरा भी किया था। अफसोस, जब प्रोजेक्ट पर प्रदेश में हलचल रही थी, तब इंदौर में महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने कुर्सी संभाली ही थी। अफसरों ने भी ध्यान नहीं दिया और बात हाथ से निकल सी गई। वहीं, भोपाल की मदद के लिए नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री बाबूलाल गौर मौजूद थे। उन्होंने १४ जनवरी २०१० को यूनेस्को टीम के सदस्य व फ्रांस के रेन्न शहर के उपमहापौर जोन ईव्स शौपे, फ्रांस हेरिटेज शहर नेटवर्क के जोन मिशेल गैल्ली, संसदीय सहायक सारा डोश, यूनेस्को एक्सपर्ट सविता राजे, भोपाल की महापौर कृष्णा गौर और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव राघव चन्द्रा के साथ एक बैठक रखी और माहौल बनना शुरू हो गया।
फ्रांसीसी दल भी आया
भोपाल में फ्रांस सरकार ने पिछले साल सितंबर में दल भेजा। उसमें अरबन प्लानिंग सिटी ऑफ रेन्न के प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन ली पेटिट व फ्रांस दूतावास के सांस्कृतिक प्रतिनिधि बेंजामिन गेस्टीन शामिल थे। दल ने भोपाल के साथ महेश्वर की धरोहरों के संरक्षण में रुचि दिखाई।
नदी के कारण चयन
फ्रांस सरकार ने इंडियन हेरीटेज सिटीज नेटवर्क के तहत ऐसे शहरों को तकनीकी मदद देने की रूपरेखा तैयार की है, जो किसी नदी के किनारे बसी हैं। इंदौर के चयन का आधार खान थी। यूनेस्को इंदौर को अपने दायरे में लेता है तो खान नदी के बहाव को जिंदा करने व किनारे की धरोहरों को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग इंदौर को मिलने लगेगा।
सीईपीआरडी के विशेषज्ञों की टीम तैयार
इंदौर. शहर की नदी मां खान नदी को जिंदा करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सीईपीआरडी) ने एक टीम तैयार कर ली है। टीम में आर्किटेक्ट, सिविल इंजीनियर, पूर्व सिटी प्लानर जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं। सीईपीआरडी के अध्यक्ष आनंद मोहन माथुर ने बताया, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सीईपीआरडी १६ वर्ष से सक्रिय है। पत्रिका के महाअभियान 'उम्मीदों की खानÓ के लिए संगठन हर तरह की मदद के लिए तैयार है।
ठंडे बस्ते में गया प्रस्ताव
यूनेस्को हेरिटेज नेटवर्क ने भोपाल में काम करने में ही दिखाई रजामंदी
इंदौर का प्रोजेक्ट अटका
खान नदी को संरक्षित करने के लिए यूनेस्को हेरिटेज नेटवर्क राजी हो गया था, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। उधर, भोपाल के नेता-अफसर होशियार निकले, उन्होंने यूनेस्को को अपने शहर को सुधारने के लिए तैयार कर लिया है। बस करार होते ही काम शुरू हो जाएगा। हालांकि, अभी भी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं।
जनवरी १० में धरोहरों की सुरक्षा करते हुए अधोसरंचना विकास के लिए यूनेस्को हेरिटेज नेटवर्क का एक दल प्रदेश के दौरे पर आया था। दल के सदस्यों नेे इंदौर समेत भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, महेश्वर, बुरहानपुर व जबलपुर को काम के लिए चुना था। दल ने इंदौर का दौरा भी किया था। अफसोस, जब प्रोजेक्ट पर प्रदेश में हलचल रही थी, तब इंदौर में महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने कुर्सी संभाली ही थी। अफसरों ने भी ध्यान नहीं दिया और बात हाथ से निकल सी गई। वहीं, भोपाल की मदद के लिए नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री बाबूलाल गौर मौजूद थे। उन्होंने १४ जनवरी २०१० को यूनेस्को टीम के सदस्य व फ्रांस के रेन्न शहर के उपमहापौर जोन ईव्स शौपे, फ्रांस हेरिटेज शहर नेटवर्क के जोन मिशेल गैल्ली, संसदीय सहायक सारा डोश, यूनेस्को एक्सपर्ट सविता राजे, भोपाल की महापौर कृष्णा गौर और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव राघव चन्द्रा के साथ एक बैठक रखी और माहौल बनना शुरू हो गया।
फ्रांसीसी दल भी आया
भोपाल में फ्रांस सरकार ने पिछले साल सितंबर में दल भेजा। उसमें अरबन प्लानिंग सिटी ऑफ रेन्न के प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन ली पेटिट व फ्रांस दूतावास के सांस्कृतिक प्रतिनिधि बेंजामिन गेस्टीन शामिल थे। दल ने भोपाल के साथ महेश्वर की धरोहरों के संरक्षण में रुचि दिखाई।
नदी के कारण चयन
फ्रांस सरकार ने इंडियन हेरीटेज सिटीज नेटवर्क के तहत ऐसे शहरों को तकनीकी मदद देने की रूपरेखा तैयार की है, जो किसी नदी के किनारे बसी हैं। इंदौर के चयन का आधार खान थी। यूनेस्को इंदौर को अपने दायरे में लेता है तो खान नदी के बहाव को जिंदा करने व किनारे की धरोहरों को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग इंदौर को मिलने लगेगा।
हर संभावना देखेंगे
यूनेस्को का दल मेरे कार्यकाल में नहीं आया है। मैं देखता हूं मामले में क्या संभावनाएं हैं?
कृष्णमुरारी मोघे, महापौर, इंदौर
यूनेस्को की टीम मेरे कार्यकाल के आखिर में आई थी और उन्होंने खान नदी, राजबाड़ा, छत्रियां, लालबाग सभी स्थानों का दौरा भी किया था। वे चाहते थे कि इंदौर की धरोहरों को सहेजा जाए। हमने इस पर काम किया भी था, लेकिन बाद में वे भोपाल के प्रोजेक्ट में लग गए।
डॉ. उमा शशि शर्मा, पूर्व महापौर
यूनेस्को की भोपाल नगर निगम के साथ चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक यह करार नहीं हुआ है। यह तय नहीं है कि किन शर्तों पर करार होगा?
एसपीएस परिहार, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन
सीईपीआरडी के विशेषज्ञों की टीम तैयार
इंदौर. शहर की नदी मां खान नदी को जिंदा करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सीईपीआरडी) ने एक टीम तैयार कर ली है। टीम में आर्किटेक्ट, सिविल इंजीनियर, पूर्व सिटी प्लानर जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं। सीईपीआरडी के अध्यक्ष आनंद मोहन माथुर ने बताया, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सीईपीआरडी १६ वर्ष से सक्रिय है। पत्रिका के महाअभियान 'उम्मीदों की खानÓ के लिए संगठन हर तरह की मदद के लिए तैयार है।
महाभियान के लिए घोषित टीम
एमएस बिल्लौरे, पूर्व सचिव व प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग
वीके जैन, पूर्व अध्यक्ष, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
आरएस गट्टानी, पूर्व निदेशक, नगर व ग्राम निवेश विभाग
अशोक सोजतिया, पूर्व चीफ इंजीनियर, सिंचाई विभाग
नरेंद्र सुराणा, रिटायर्ड सिटी प्लानर, नगर निगम इंदौर
डॉ. संदीप नारूलकर, सिविल विभाग, एसजीएसआईटीएस
अजीत सिंह नारंग, पूर्व चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी
एसके साहनी, प्रोफेसर, एक्रोपोलिस इंस्टिट्यूट
ऑफ टेक्नोलॉजी
एससी जैन, विभागाध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग, अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
अतुल सेठ, वरिष्ठ इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट
मनीष सोनी, आर्किटेक्ट
११ फ़रवरी २०१२ , पत्रिका , इंदौर
१२ फ़रवरी २०१२ पत्रिका इंदौर
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